आधुनिक नारी हर एक क्षेत्र में अग्रसर है। वह अपने परिवार एवं बच्चों का ख्याल रखने के साथ साथ नौकरी, बिजनस भी संभाल रही है। घर, बच्चे और व्यवसाय में हर दिन कोई न कोई विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, और उन विपरीत परिस्थितियों में खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से संतुलित रखना सरल नही होता है। जिस के कारण विभिन्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंघित तकलीफें शुरू होती है और आगे चलकर शारीरिक और मानसिक रोग होते है।
आधुनिक नारी हर एक क्षेत्र में अग्रसर है। वह अपने परिवार एवं बच्चों का ख्याल रखने के साथ साथ नौकरी, बिजनस भी संभाल रही है। घर, बच्चे और व्यवसाय में हर दिन कोई न कोई विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, और उन विपरीत परिस्थितियों में खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से संतुलित रखना सरल नही होता है। जिस के कारण विभिन्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंघित तकलीफें शुरू होती है और आगे चलकर शारीरिक और मानसिक रोग होते है।
तनाव को दूर करने के लिए –
- हितकारी अन्न पान
- व्यायाम
- पसंदीदा प्रवृत्तियों को करना
- रचनात्मक विचारधारा
- ध्यान करना
- सद वांचन
- सत्संग
- सदा मुस्कुराते रहे
- प्रकृति प्रेम
- संगीत
संगीत को ईश्वर कहा गया है। गायन, वादन एवं नृत्य तीनो के समावेश को संगीत कहते है । गायन और वादन दोनों ही शब्द के प्रकार है। गायन में वर्णो (स्वर एवं व्यंजन) का स्पष्ट उच्चारण होता है। वादन में ध्वनि की उत्पत्ति होती है, अक्षर स्पष्ट नहीं होते है। भगवत गीता को श्रीकृष्ण ने गाकर ही सुनाया था, इसीलिए तो भगवतगीता कहते है। मनुष्य के जीवन की शुरुआत ही रुदन से होती है जो एक प्रकार का संगीत ही है। शरीर के भीतर भी विविध प्रकार के ध्वनि होते है जैसे हृदय के स्पंदन, फुफ्फुस मे वायु कि गतिविधि, आँतों की ध्वनियाँ, जठराग्नि की आवाज और ऐसी अनेक सूक्ष्म ध्वनियाँ जो निरंतर पायी जाती है – जिसका प्राकृत रूप से रहना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। बाहरी दुनिया में भी कई तरह की प्राकृत ध्वनियाँ हैंः जैसे समुद्र की लहरों की आवाजें, पशु पक्षियों की आवाजें, हवा के चलने से होनेवाली आवाजादि। रीसर्च भी कहती है कि सूर्य में से भी ओमकार जैसी ध्वनि सुनाई देती है।
राग शब्द संस्कृत के ‘रंज‘ (रंगना) धातु से बना है। संगीत भी मनुष्य के शरीर और मन प्रसन्नता से रंग देता है। राग को गाया बजाया जाता ह और ये कर्णप्रिय होता है। राग का प्राचीनतम उल्लेख सामवेद में है।
संगीत में सात स्वर होते है। सातो स्वरो की अपनी शब्द शक्ति होती है। युद्ध, उत्सव, प्रार्थना, भजन आदि के समय संगीत का महत्त्व प्राचीन काल से चला आ रहा है। विश्व युद्ध के दौरान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर सैनिकों पर संगीत के रचनात्मक परिणाम प्राप्त हुए थे। भगवान श्री कृष्ण जब बांसुरी बजाते थे तो गाय ज्यादा दूध देती थी। अकबर के दरबार में नवरत्नों में शामिल तानसेन के दीपक राग गाने से उसके शरीरमें उत्पन्न हुई जलन को ताना-रीरी ने मल्हार राग गाकर जलन को कम किया था। रागों के स्वर का प्रकृति पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हाल ही में मध्यप्रदेश के वन विभाग में एक शोध हुआ जिसमें वृक्ष प्रजातियों को मशहूर सितार वादक रविशंकर की राग भैरवी से आंवला और सीताफल जैसी प्रजातियों के बीजों में अंकुर फूटने की क्रिया पे प्रभावी देखा गया। रागों से पशुओं के कठोर व्यवहार पर भी काबू पाया जा सकता है। रोता हुआ छोटा बालक भी अपनी मॉ की लोरी सुनकर शांति से सो जाता है।
लंबे समय तक तनाव मे रहने के कारण शरीर में बढ़े हुए कोर्टिसोलादि (स्ट्रेस होर्मोन) के कारण वजन बढना, मानसिक तनाव, रोगप्रतिकारक शक्ति का कम होना, पाचन संबंघित समस्याएँ, हृदयरोगादि समस्याएँ, उत्पन्न होती है। जबकि संगीत से सेरेटोनिन, डोपामाइन जैसे हेपी होर्मोन सक्रिय होने पर सकारात्मक प्रभाव होने पर मुड़ मे सुधार आता है, तनाव कम होने लगता है और रोगप्रतिकारक शक्ति भी बढ़ती है। पं. ओंकारनाथ ठाकुर ने राग पूरिया के चमत्कारिक गायन से इटली के शासक मुसोलिनी को अनिद्रा रोग से मुक्ति दिलाई थी। प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डांआलिवर स्मिथ के अनुसार राग शिवरंजनी सुनने से स्मरण शक्ति बढ़ाई जा सकती है। ऐसे सभी रागो का महत्व है। नियमित किया गया ओमकार का उच्चारण भी तनाव को दूर करता है। संगीत मन की औषधि है। विविध मंत्रोच्चार का भी मन पर सकारात्मक प्रभाव होता है।
नृत्य – लय और ताल के साथ किया जाने वाला शरीर के अंगों का संचालन। नृत्य का उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति भी है।
- नृत्य पूरे शरीर एवं मन दोनो का व्यायाम है।
- एक्सपर्ट मानते हैं कि आधा घंटा नृत्य करने से १०, ००० कदम चलने जितनी शारीरिक उर्जा का उपयोग होती है। वजन घटाने के लिए नृत्य एक बेहतरीन विकल्प है। इसके लिए आपका नृत्य में बहुत पारंगत होना भी जरूरी नहीं है। बल्कि अपनी पसंदीदा धुन पर मस्ती में आधा घंटा थिरकना भी आपका वजन घटा सकता है।
- शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और जकड़न की समस्या नहीं रहती।
- शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है।
- नृत्य आत्मविश्वास को भी बढाता है।
- शरीर का संतुलन बेहतर होता है।
- नृत्यके स्टेप्स को याद रखने और म्यूजिक की धुन से सामंजस्य बिठाने पर नए न्यूरॉन्स पैदा होते हैं।
- नृत्य वृद्धावस्था को पीछे ढकेलताहै।
गाना गाने के फायदे
- गाना गाने से फेफड़ों और चेहरेकी मांसपेशियों की कसरत होती है।
- गायन से एन्डोरफिन नामक हेपी
होर्मन बढता है।
- गुस्सा, डीप्रेशन और चिंता कम होती है।
- गाना रोगप्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
- रक्त का परिभ्रमण अच्छे से होने पर तनाव कम करता है और नींद अच्छी आती है।
- आत्मविश्वास और याददाश्त दोनो में सकारात्मक परिणाम मिलते है ।
“यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे” नियमानुसार बाहरी और आंतरिक जगत में संगीत की उपस्थिति पायी जाती है। उसमें से जो भी हमारे शरीर और मन को प्रसन्न रखे ऐसे संगीत को अपनाकर तनावरहित स्वस्थ जीवन जीने का प्रयत्न करना चाहिए।