आधुनिक नारी हर एक क्षेत्र में अग्रसर है। वह अपने परिवार एवं बच्चों का ख्याल रखने के साथ साथ नौकरी, बिजनस भी संभाल रही है। घर, बच्चे और व्यवसाय में हर दिन कोई न कोई विपरीत परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, और उन विपरीत परिस्थितियों में खुद को शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से संतुलित रखना सरल नही होता है। जिस के कारण विभिन्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंघित तकलीफें शुरू होती है और आगे चलकर शारीरिक और मानसिक रोग होते है। आधुनिक नारी हर एक क्षेत्र में अग्रसर है। वह अपने परिवार एवं बच्चों का ख्याल रखने…
Vd. Rimpal Virsodiya
आधुनिक काल में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा जहां महिलाओं ने अपना स्थान न बनाया हो। महिलाएं नौकरी करने के साथ साथ अपने परिवार को भी अच्छे से संभालती हैं। नारी तो घर परिवार की करोडरज्जू समान होती हैं। व्यवसाय के स्थल एवं परिवार में रोजबरोज कई सारी समस्या बिन बुलाये महेमान की तरह आती रहती हैं। व्यवसाय में भी आजकल जोरदार प्रतियोगिता का दौर चल रहा है जिसके चलते व्यवसाय में टिके रहने के लिए हमेशा जागरूक रहना पडता है और कई सारी समस्याओ का सामना करना पडता है। दूसरी ओर अब संयुक्त परिवार में रहना भी कम हो…
हमारा शरीर एक जटील संरचना है। “यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे” इस उक्ति से कहा गया हे कि हमारे शरीर की एवं इस ब्रह्माण्ड की रचना समान है। जैसे विश्व की स्थिति एवं विनाश में चंद्र, सूर्य और वायु कारण हैं वैसे ही शरीर का निरोगी एवं रोगी होना दोषों की स्थिति पर आधारित है। आओ अब मानसिक तनाव जन्य व्याधि के बारे में विस्तार से समझते हैं। दोष दो प्रकार के होते हैं – शारीरिक दोष और मानसिक दोष। वात, पित्त एवं कफ शारीरिक दोष और रज एवं तम मानसिक दोष हैं। जब तक दोष साम्यावस्था में रहते हैं तब…