आज के समय में स्वास्थ्य समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या है – ‘हाइपरथाइरोडिज़्म’। यह एक ऐसा विकार है जिसे जीवन शैली में बदलाव करके काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। थाइरोइड़ ग्रन्थि कण्ठ के निचले भाग के दोनो ओर तथा कंठ नली के उपर के भाग के आगे स्थित होती है। लगभग 25 ग्राम की यह ग्रन्थि अपने दो पार्श्वीय खंडो (lateral lobes) तथा नीचे की तरफ उनको मिलाने वाले संयोजक खंड इस्थमस (Isthmus) से मिलकर बनी होती है। दोनो पार्श्वीय खंड (lateral lobes) श्वासनली (Trachea) के आजूबाजू रहते हैं। इस्थमस (Isthmus) की स्थिति श्वासनली (Trache) की…
Dr. Pankaj Jain
वर्तमान में व्याधिप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढाने का प्रयास हर कोई कर रहा है। आयुर्वेदीय दृष्टिकोण से इम्युनिटी बढ़ाने पर विचार करें, तो आहार (Diet), निद्रा (Sleep) एवं ब्रह्मचर्य (Lifestyle) तीनो का सम्यक प्रयोग ही इम्युनिटी बढ़ाने वाला है। इसमें भी आहार अर्थात भोजन (Diet) को विशेष रूप से लाभकारी होने से प्रथम स्थान पर रखा गया है। असम्यक आहार लेने से शरीर पर पडने वाले प्रभावों को कुपोषण कह सकते है। सम्यक रूप से आहार लेने का अर्थ-मात्रापुर्वक आहार, शरीर में सभी आवश्यक तत्वों की पूर्ति करने वाला आहार एवं समय पर आहार लेने से है। एलोपैथिक चिकित्सकोने आहार के…
आज-कल ऋतु-संधिजन्य रोगों की चर्चा ज़ोरों पर है, और कभी कोरोना तो कभी कुछ और नाम से विभिन्न वायरसो के संक्रमणों से जनता मे घबराहट फैल रही है। यह तो पक्का है कि घबराने सै या पैनिक होने से स्थिति और बिगडती है, किंतु यह भी सत्य है कि लापरवाही से भी रोग बढता है। लापरवाही मे खाने-पीने की लापरवाही के साथ-साथ रहन-सहन की लापरवाही भी शामिल है। आइये जाने कि क्या है ऋतु-संधिजन्य रोग एवं ऋतु-संधिजन्य काल(Time Between Ritu). सर्वप्रथम जानते हैं कि ये ऋतु (Ritu) क्या है? 1 वर्ष मे ऋतुऐ 6 होती है – शिशिर, वसन्त, ग्रीष्म,…