मधुमेह दो शब्दों से मिलकर बना है मधु$मेह जिसका मतलब होता है मधु के समान मीठे पेशाब का अत्यधिक और बार-बार निकलना मधुमेह, जिसे आम भाषा में डायबिटीज (Diabetes) के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर रोग है जो विश्व भर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यह रोग आम तौर पर शरीर के रक्त में शुगर के स्तर बढ़ जाने से होता है और यदि समय रहते इसका सही इलाज नहीं किया जाता है, तो यह कई अन्य समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है।
मधुमेह एक ऐसा रोग है जो की सम्यक आहार, दिनचर्या एवम व्यायाम आदि का पालन न करने से होता है। अगर मधुमेह रोग को उत्पन करने वाले करने वाले कारणों को देखा जाए तो इसमें एक ही जगह पर लगातार बैठे रहना, अत्यधिक एवं विधि विरुद्ध सोना, चिंता, शोक, भय, आलस्य,दही एवं दही से बने अन्य खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन करना, दूध से बने पदार्थ जैसे खीर, खोया, पनीर, मख्खन, मलाई आदि का अत्यधिक सेवन, नए अनाज का अत्यधिक सेवन करना, गुड एवं शक्कर से बने खाद्य पदार्थो का अत्यधिक सेवन करना, बार-बार खाने की आदत, अत्यधिक खाना, ऐसे आहार जो पचने में भारी होते हैं का सेवन करना, इसके अलावा ऐसे ही अन्य आहार एवं क्रियाकलाप जो कफ एवं मेद(चर्बी) को बढ़ात हैं मधुमेह का कारण बनते हैं। अगर हम इन उपरोक्त कारणों को जानते हुए इनसे दूर रहेंगे तो हम मधुमेह रोग को शरीर में होने से बचा पाएंगे।
कोई भी रोग शरीर में पूरी तरह से व्यक्त होने के पहले शरीर में कुछ पूर्व लक्षणों को उत्पन करते हुए हमे चेतवानी देता है और अगर हम उनको समझ लेवें तो उस समय भी उचित खान-पान एवम व्यायामादि के माध्यम से उसे नियंत्रित कर सकते हैं जैसे-अत्यधिक पसीना आना, पसीने मे दुर्गंध आना, बिना श्रम के थकान, बिस्तर में लेटने बैठने और सोने पर आराम लगना, ह्रदय प्रदेश में भारीपन लगना, देखने में दिक्कत होना, मुख से दुर्गंध आना, थकान, हाथ पैरों में सूनापन, मुंह का जल्दी से सूखना, हमेशा सोने की इच्छा रखना, शरीर में स्थिरता में कमी, मलावृत जिह्वा, तालु एवं दन्त, शरीर में भारीपन, शीतल भोजन एवम वातावरण की इच्छा करना, गला और तालु का सुखना, हाथ एवम पैरों में जलन होना, मूत्र में चींटियां लग जाना, अत्यधिक प्यास लगना, शरीर में चीटियों के चलने जैसा लगना आदि।
जब मधुमेह पूरी तरह शरीर को अक्रांत कर लेता है तो वो विभिन्न लक्षणों को उत्पन्न करता है जैसे पेशाब का बारबार और ज्यादा मात्रा में निकलना, गंदलामूत्र आना, मधु से समान एवम मधु के समान गंध वाला मूत्र का आना, शरीर में रूखापन का आना, कमजोरी महसूस होना, नपुंसकता का आना, शरीर से पसीने की दुर्गंध आना, शरीर की धातुओं का क्षय होना शरीर पतला होना आदि। आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह, प्रमेह के २० प्रकारों में से एक है। अगर प्रमेहों का समय पर उपचार न किया जाए तो सभी प्रमेह अंततः मधुमेह में परिवर्तित हो जाते हैं जो की एक असाध्य रोग हो जाता है जिसमे मुख्य रूप से वातदोष आधिक्य रहता है।
अगर मधुमेह के उपरोक्त लक्षणों के आने पर भी उसे नियंत्रित करने का उपाय नहीं किया जाता है तो मधुमेह अनियंत्रित होकर शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करते हुए उनके कार्यों में विकार पैदा कर देता है और उनकी कार्यक्षमता को कम कर देता है जैसे हृदय रोग, वृक्कदोष, अनिद्रा, शरीर में जकड़ाहट, कंपन, शरीर में दर्द होना, कब्ज का होना, अफरा, शरीर का सूखना, खासी और श्वास का होना, दृष्टिरोग, हाथ पैरों में शून्यता आदि। एक बार मधुमेह हो जाने पर केवल उसे आहार, व्यायाम और दिनचर्या में सुधार करक नियंत्रित किया जा सकता है पूरी तरह से ढीक नही किया जा सकता। अतः मधुमेह की स्थिति ना आने पाए हमे हमेशा इसी बात का ध्यान रखना है। मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए अगर समय घरेलू उपचारों की बात करे तो गुडुची क्वाथ, हल्दी का चूर्ण और आवले का चूर्ण या रस, जामुन का जूस या चूर्ण, करेले का जूस, बेल की पत्तियांे का जूस एवम मरिच का पाउडर, हल्दी और नीम आदि का प्रयोग किया जा सकता है। मधुमेह का उपचार व्यक्तिगत हो सकता है और सही दिशा में जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको उपरोक्त उपायों को अपनाते हुए अगर कोई समस्या आती है तो आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं।
मधुमेह हेतु खान-पान की बात की जाएं तो इसमें जौ का सत्तू, पुआ, बाटी, बांस के बीज, पुराना चावल, कैथ, तेंदू, पुराना शहद, सरगवा, हल्दी, आंवला, कोद्रव, जौ, गेहूं, मूंग, कुल्थी, परवल, करेला, मरिच, लहसुन, जामुन, चना, अरहर, ऐसी सब्जियां जो कड़वापन लिए हुए रहती हैं, सेंधानमक, हींग, विजयसार जिसमे भिगोया गया हो ऐसे पानी का पान, इसके अलावा त्रिफला के क्वाथ में रातभर जौ को भिगोकर सुखा लेने के पश्चात उसका सत्तू बना लेवें और उसको पुराना मधु मिलाकर सेवन आदि का उपयोग अधिकाधिक रूप से किया जाना चाहिए।
मधुमेह को नियंत्रित करने हेतु योग चिकित्सक से परामर्श कर विभिन्न प्रकार के व्यायाम, योगासन एवम प्राणायाम आदि किए जा सकतें हैं जैसे-कपालभाति, अर्धमस्त्येंद्रसान, धनुरासन, शवाशन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन, गोमुखासन, मकरासन, उष्ट्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, हलासन, उत्तानपादासन, आदि अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार करें। ऐसे रोगी जो किसी कारणवश इन योगासनों को करने में असमर्थ हैं वो अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ४०- ५० मिनट पैदल चलने का नियम बनाएं। मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए रोजाना कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, भ्रामरी, उद्गीथ और उज्जायी प्राणायाम करना भी मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए कारगर है। इसके अतिरिक्त त्रिफला एवम हल्दी के पाउडर को मिलाकर उसके चूर्णको शरीर पर मलना अनावश्यक मेद को कम करने में लाभदायक है।
मधुमेह एक गंभीर रोग है, जिसस बचने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाना और नियमित रूप से चिकित्सक की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ खानपान, व्यायाम, और ध्यानपूर्वक दवा का सेवन करने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। इससे बचकर हम सभी एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।