एक व्यक्ति एक ऊंचे पेड़ से उतर रहा था। नीचे एक फकीर बैठा देख रहा था। अति ऊंचाई से उतरते देख वह चुप रहा । जब ऊंचाई खतरनाक ना रही फकीर उसे सावधान – सावधान कहकर नसीहत देने लगा।
नीचे उतरते उस व्यक्ति ने फकीर से कहा ’जब ऊंचाई खतरनाक थी तुम चुपचाप थे बस निहार रहे थे, और जब खतरा टल – सा गया है, तुम सावाधान होने को कह रहे हो।’
फकीर बोला ’ऊंचाई पर तुम खुद खतरा देख सावघान थे पर अब तुम खतरे से बेपरवाह हो, यही वास्तव में सावधान रहने की ,घड़ी है। अतः मैं तुम्हे सजग कर रहा हूं।’
दोस्तों,
यही अब कोरोना की कहानी है। हमारी लापरवाही ही हमें निगलती जा रही है। अब बीमारी हमें पहचानी – पहचानी – सी लगने लगी है। यही असली समय है संभल कर चलने का, घ्यान रखने का।
आज हमारे मित्रों, पास पडो़स व जानकारो में कितने लोग करोना से पीड़ित हैं… कितनो ने अपने अपनो को खो दिया है। हम उनसे सहानुभूति तो रखते हैं पर ये भी सोचते हैं कि हम तो बहुत सावधानी से रहते हैं हम तो बचे रहेंगे। इस गलतफहमी से हमें निकलना है। कहते हैं कि हम सबके अचेतन मन में एक प्रबल भाव बना ही रहता है कि प्रलय आने पर भी चमत्कार होगा और हमे कोई बचा लेगा। लेकिन ऐसा होगा नहीं, बचाने कोई नहीं आएगा, हमे खुदकी रक्षा खुदही को करनी होगी
यह समय मुकाबले में मरने का नहीं बल्कि सावधानी से कदम बठ़ाने का है। भीड़ का हिस्सा न बनकर एकांत में खुद को तलाश करने का है। जीवित रहे, तो भीड़ भी मिलेगी और कार्य भी।
अपने अति विश्वास पर रोक आप को लगानी ही चाहिए वरना ”पछताए क्या होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत”; खतरे की आहट सुनिए औार सावधान रहिए। और अंत में हमारी मूर्खता का सबसे बडा़ लक्षण भी यही है कि हम सब बुद्विसे ज्ञानी और आचरण में अनाडी़ है।
covid-19 वायरसके प्रभावसे बचने के लिए सबसे जरुरी है कि आप नियमित तौर पर गुनगुना पीना पिएं।
शरीरके इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए आपको नियमित तौर पर उचित मात्रा में आंवला, एलोवेरा, गिलोय, नींबू , संतरा, पाइनेपल आदि का रस पीना चाहिए।
गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
घर और आस – पास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए आप नियमित तौर पर नीम की पत्तियाँ, गुग्गल, राल, देवदारु और दो कपूर को साथ में जलाएं।
इसके अलावा आप चाहें तो गुग्गल, वचा, इलायची, तुलसी, लौंग, गाय का घी और खांड को किसी मिट्टी के पात्र में रखकर जलाएं और उसके धुएं को घर और आस-पास में फैलने दें।
अगर चाय पीने के शौकीन हैं, तो आपको नियमित रुप से 10 या 15 तुलसी के पत्ते, 5 से 7 काली मिर्च, थोडी़ दालचीनी और उचित मात्रा में अदरक डालकर बनाई गई चाय पीनी चाहिए। यह आपको रोगों से बचने में मदद करेगी।
सामन्य उपायः पूरे दिन केवल गर्म पानी पीएं। आयुष मंत्रालयकी सलाहके अनुसार प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट योगासन, प्राणायाम एवं घ्यान करें । भोजन बनाने में हल्दी, जीरा, धनिया एंव लहसुन आदि मसालों का उपयोग करें।
आयुर्वेदिक उपायः
तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सूखा अदरख द्ध एवं मुनक्का से बनी हर्बल – टी या काढ़ा दिन में एक से दो बार पीएं। स्वादके अनुसार इसमें गुड़ या नींबू का ताजा रस मिला सकते हैं।
गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी चूर्ण दिन में एक से दो बार लें।
गाय का घी,नारियल या तिल तेलः सुबह एवं शाम तिल या नारियल का तेल या घी नाक के दोनों छिद्रो मे लगाएं। केवल 1 चम्मच तिल/नारियलका तेल का मुंह में लेकर दो से तीन मिनट कुल्ले की तरह मुंह में ही घुमाएं। उसके बाद उसे कुल्लेकी तरह ही थूक दें। फिर गर्म पानी से कुल्ला कर लें। ऐसा दिन में एक दो बार करें।
खांसी व गले में खराश के लिएः दिनमें कम से कम एक बार पुदिना के पत्ते या अजवाइन डालकर पानी की भाप लें।
खांसी या गले में खराश होने पर लौंग के चूर्ण में गुड़ या शहद मिलाकर दिन में दो से तीन बार लें। ये उपाय सामान्य सूखी खांसी एंव गले के खराश के लिए लाभदायक हैं। फिर भी अगर लक्षण बने रहते हैं,तो डाक्टर से परामर्श लें।