‘‘हर घर आयुर्वेद’’ विषय को सोचते ही पहला प्रश्न ये होता है कि- हर घर में आयुर्वेद को आप कैसे ले जाएंगे ? और हर घर में आयुर्वेद को कैसे अपनाएंगे, इससे भी पहले ये बात आती है की इसकी ज़रुरत क्यों हैं?
क्या हर घर आयुर्वेद ये हमारे देश भारत में कोई नयी बात है? आयुर्वेद का जन्म ही इस धरती पर हुआ है और जैसे हमारी संस्कृति हमारे देश की धरोहर है वैसे ही आयुर्वेद भी हमारी संस्कृति का एक भाग है। हमारे बाप दादा से ये हमारे घरों की जीवनशैली में जुड़ा हुआ है। तकलीफ सिर्फ इतनी हुई की आयुष्य से जुड़े विज्ञान ‘‘आयुर्वेद‘‘ अनुसार जो भी चीजे हमारे घरों में होती थी उनमें भी अच्छे तरीके से अगली पीढ़ी को इसका ज्ञान मिला नही। कारण जो भी हो बस अब जब कोरोना के बाद सभी को फिरसे आयुर्वेद की कीमत पता चली है, अगर हर घर में आयुर्वेद को बसाना है तो सबसे पहले हरेक घर के हरेक सदस्य को आयुर्वेद क्या है और इसे अपनाना क्यों है वो समझना पड़ेगा। तभी तो हरेक व्यक्ति आयुर्वेद को दिल से अपना पाएगा।
इस आर्टिकल को हिंदी में ही लिखने का कारण भी यही है की छोटे बड़े हर उम्र के लोग इसे समझ पाएंगे। जिनको भी सिर्फ पढ़ना आता है वैसे लोग भी आयुर्वेद की सामान्य बात को समज के उसके नजदीक जाए यही मेरा इस आर्टिकल को लिखने का तात्पर्य है। बच्चे, बूढ़े, युवान, गर्भवती, प्रसूता आदि सभी लोगो के लिए आयुर्वेद में इतने सारे विषय दिए है जो की स्त्री या पुरुष अपने जन्म से लेकर मरण तक के सफर में आने वाले हरेक स्तर को आसानी से और स्वास्थ्यपूर्ण बनाकर अपना जीवन व्यतीत कर सकता है। आयुर्वेद चिकित्सक/प्रेक्टिशनर होने के नाते मेने अपनी व्च्क् में देखा है की हरेक उम्र या अवस्था की कुछ सामान्य समस्याऐं होती है जो की हरेक के जीवन में आती ही है। अगर हमे आयुर्वेद को हर घर तक लेके जाना है तो सभी अवस्था के व्यक्ति के दिमाग और मन के नजदीक इसे लेके जाना होगा, और इस जमाने में इसका सीधा और आसान रास्ता है सोशियल मिडिया। इसका सही तरीके से उपयोग किया तो आयुर्वेद जो है वही लोगो के घरों तक पहुंचेगा और अगर इसको स्पर्धा की आड़ में उपयुक्त किया तो इसकी सच्ची समझ और अनुसरण सही रीती से नही होगा।
मुझे भी पता है की इस एक आर्टिकल से में हर घर में आयुर्वेद नही ले जा सकती। पर इतना जरूर विश्वास है की इसे पढ़ने के बाद आप दिल से आयुर्वेद से जुड़ेंगे। आपको ये जानकारी मिलेगी की आयुर्वेद में ऐसे कोन कोन से विषय है जो की हर घर को यानि की घर के हर सदस्य को आयुर्वेद अपनाना चाहिए।
एक मात्र आयुर्वेद ही ऐसा विज्ञान है जो रोगी के रोग को दूर करने के जितना ही महत्वपुर्ण स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ रखने में है। आयुर्वेद मे स्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किन चीजों को जीवनशैली में शामिल करना चाहिए वो दिया हैं।
सबसे पहले आयुर्वेद हमारी ‘‘दिनचर्या‘‘ को नियमीत करने के लीये ऐसै उपाय बताता है की जिससे प्रत्येक ऋतु में प्रत्येक आयु का व्यक्ति अपने आपको स्वस्थ रख सके; और यह भी बताता है कि इस तरह स्वस्थ रहने के लिए किन वस्तुओं का त्याग करना चाहिए।
‘‘अजातानाम् विकाराणाम् अनुत्पत्तिकरम् च’’ – जो विकार को उत्पन्न हि नहि हुए है उनका उद्भव हि ना होने देना।
जैसे की लंबी आयु तक अपने दांत आंख नाक गला इत्यादि को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद प्रतिमर्स नस्य और धुमपान जेसे घरेलू उपाय बताता है, इस कड़ी में अणु तेल का अपना विशेष महत्व है।
आयुर्वेद में कई प्रकार की धूप दिए हैं, धूप करने का विधान इसलिए है कि घरों में छतों तक भी औषधि युक्त धुंआ पहुंचाकर विषाणु ओ का नाश किया जा सकता है।
आयुर्वेद का अध्ययन करने पर हम यह देखते हैं कि मनोवांछित प्रवृत्ति वाले जीवो का आह्वान करके गर्भधान से लेकर मृत्यु तक किए जाने वाले सोलह संस्कार के बारे में पूरी समाज जनसामान्य को उपलब्ध कराई गई है।
पंचकर्म आयुर्वेद की एक विश्व प्रसिद्ध उपचार प्रणाली है जिसमें रोगी को स्वस्थ करने के बाद और स्वस्थ व्यक्ति को उसकी आयु और प्रकृति के अनुसार लंघन, बृहंण, स्नेहन, स्वेदन, वमन, विरेचन और विविध प्रकार की वस्तुओं से पूर्णतया स्वस्थ किया जाता है। विशेषकर व्यक्ति को शरद ऋतु में विवेचन; वसंत ऋतु में वमन और वर्षा ऋतु में बस्ती जैसे कर्म वैद्य की निगरानी में करवाए जाते हैं।
अतः मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी कि अपनी निंद्रा आहार और ऋतुचर्या को नियमित करके सदैव आयुर्वेद को स्थान दीजिए; स्वस्थ रहिए, व्यस्त रहिए और मस्त रहिए।